राष्ट्रीय जनगणना में अब जातीय जनगणना भी शामिल होगी: केंद्र सरकार का बड़ा फैसला
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नागरिकों ने जातीय जनगणना 2025 का स्वागत किया – ख़बर फैक्ट्री |
क्या है मामला?
30 अप्रैल 2025 को केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक घोषणा की — अब राष्ट्रीय जनगणना में जातीय जनगणना (Caste Census) भी शामिल की जाएगी।
यह फैसला भारत की सामाजिक संरचना को बेहतर ढंग से समझने और सभी जातियों को सही प्रतिनिधित्व देने के उद्देश्य से लिया गया है।
इस घोषणा के बाद राजनीतिक हलचलों में भी तेजी आई है। विपक्ष ने लंबे समय से इसकी मांग की थी और अब सरकार के फैसले को "सकारात्मक कदम" बताया जा रहा है।
मुख्य बातें:-
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केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जनगणना 2025 को लेकर प्रेस वार्ता की – ख़बर फैक्ट्री |
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केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पुष्टि की कि आगामी जनगणना में जातीय डेटा को भी इकट्ठा किया जाएगा।
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राहुल गांधी ने इसे "जनता की ताकत का परिणाम" बताया लेकिन सरकार से एक स्पष्ट टाइमलाइन भी मांगी।
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राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा, "सिर्फ किताब खरीदने से कुछ नहीं होता, उसे पढ़ना भी पड़ता है" — इशारा करते हुए कि इस घोषणा को जमीन पर लागू करना भी उतना ही जरूरी है।
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कई विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला बीजेपी की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिससे विपक्ष की जातीय राजनीति को चुनौती दी जा सके।
जातीय जनगणना का महत्व:
जातीय जनगणना से सरकार को:
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पिछड़े वर्गों (OBC) के सटीक आंकड़े मिलेंगे।
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नीतियों और योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा।
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सभी जातियों को सरकारी योजनाओं का सही लाभ मिल सकेगा।
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आरक्षण प्रणाली को और अधिक न्यायसंगत बनाया जा सकेगा।
राजनीतिक विश्लेषण:
क्या यह फैसला मास्टरस्ट्रोक है या राजनीतिक मजबूरी?
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कई विशेषज्ञों का कहना है कि लोकसभा चुनाव 2029 को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है।
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जातीय जनगणना से OBC, SC, ST समुदायों के बीच बीजेपी अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
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विपक्ष भी अब इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपना सकता है और जल्दी से जल्दी टाइमलाइन तय करने का दबाव बना सकता है।
आगे का रास्ता:
सरकार ने तो घोषणा कर दी है, लेकिन असली परीक्षा तब होगी जब:
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डेटा कलेक्शन बिना किसी पक्षपात के होगा।
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जातीय आंकड़ों का सही तरीके से विश्लेषण और उपयोग किया जाएगा।
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देशभर में सभी वर्गों को इस प्रक्रिया में भरोसे में लिया जाएगा।
निष्कर्ष:
जातीय जनगणना का फैसला भारतीय राजनीति और सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा मोड़ है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इसको किस तेजी और पारदर्शिता से लागू करती है।
जनता को भी सजग रहना होगा ताकि हर तबके की आवाज सही तरीके से गिनी जाए।